“असम को चाहिए शिक्षा, न कि बंदूकें!” — गोगोई का सरकार पर करारा वार

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

असम की सीमाओं पर रहने वाले नागरिकों को हथियार देने की योजना को लेकर प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के इस फैसले की कांग्रेस सांसद और प्रदेश अध्यक्ष गौरव गोगोई ने कड़ी आलोचना की है।

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गुरुवार देर रात गौरव गोगोई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा:

राज्य को बंदूकें नहीं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सस्ती स्वास्थ्य सेवा और रोज़गार चाहिए।

गोगोई का आरोप: “ये सुरक्षा नहीं, चुनावी राजनीति है”

गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि यह निर्णय असम की जनता की सुरक्षा के बजाय चुनावी राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा:

“बीजेपी और आरएसएस अपने समर्थकों और आपराधिक सिंडिकेट के बीच हथियार बांटना चाहते हैं।”

उन्होंने चेतावनी दी कि इस कदम से व्यक्तिगत प्रतिशोध और स्थानीय हिंसा में बढ़ोतरी हो सकती है।

“यह शासन नहीं, जंगल राज की शुरुआत है”

गोगोई ने मुख्यमंत्री पर तीखा हमला करते हुए इसे “अराजकता की तरफ एक खतरनाक कदम” बताया और कहा:

“यह जनता की चिंता नहीं, चुनावी चिंता है।”

मुख्यमंत्री का पक्ष: “सख्त जांच के बाद ही लाइसेंस”

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 28 मई को घोषणा की थी कि सीमावर्ती संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले मूल निवासियों को हथियार लाइसेंस दिए जाएंगे ताकि वे अपनी सुरक्षा कर सकें। उन्होंने स्पष्ट किया:

लाइसेंस देने से पहले कठोर जांच-पड़ताल की जाएगी।

सरकार का तर्क है कि यह कदम प्रदेश के दूरदराज और संवेदनशील क्षेत्रों में मूल निवासियों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है।

सोशल मीडिया पर वीडियो से दी गई जानकारी

सरमा सरकार ने हथियार लाइसेंस योजना को लेकर विस्तृत वीडियो जारी किया, जिसमें बताया गया कि कौन पात्र होगा और क्या जांच प्रक्रियाएं होंगी।

सुरक्षा बनाम राजनीति?

गौरव गोगोई और हिमंत बिस्वा सरमा के बीच यह बहस अब केवल सुरक्षा नीति तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह असम की चुनावी राजनीति और कानून व्यवस्था को लेकर गहरे सवाल खड़े करती है।

क्या यह वाकई सुरक्षा सुनिश्चित करने की नीति है या चुनावों से पहले ध्रुवीकरण की रणनीति? इसका जवाब समय देगा।

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